₹60 हजार की नौकरी छोड़ शुरू किया ये काम, अब हर साल कमा रहा ₹20 लाख से ज्यादा, इस सरकारी स्कीम का उठाया फायदा
Fish Farming: केंद्र सरकार ने बजट 2023 (Budget 2023) में मछली पालन (Fisheries) पर फोकस बढ़ाया है. इसको बढ़ावा देने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत सब-स्कीम योजना लाने का ऐलान किया है. सरकार द्वारा मछली पालन को प्रोत्साहित किए जाने अब पढ़े-लिखे युवा नौकरी छोड़ इस क्षेत्र में हाथ आजमा रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) स्कीम का उठाया फायदा. (File Photo)
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) स्कीम का उठाया फायदा. (File Photo)
Fish Farming: केंद्र सरकार ने बजट 2023 (Budget 2023) में मछली पालन (Fisheries) पर फोकस बढ़ाया है. इसको बढ़ावा देने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत सब-स्कीम योजना लाने का ऐलान किया है. सरकार द्वारा मछली पालन को प्रोत्साहित किए जाने अब पढ़े-लिखे युवा नौकरी छोड़ इस क्षेत्र में हाथ आजमा रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं.
ऐसे मिला मछली पालन का आइडिया
कर्नाटक के बेंगलुरु के रहने वाले एन चेतन राज ने फाइनेंस में एमबीए (MBA) करने के साथ एक इंटीरियर डिजाइनर हैं. शहर में मछली की ज्यादा मांग और भारत सरकार की नीली क्रांति योजना (Blue Revolution Scheme) ने उन्हें एक्वाकल्चर बिजनेस (Aquaculture Business) में कदम रखने के लिए प्रेरित किया. शुरुआत में उन्होंने छोटे स्तर पर झींगा पालन (Shrimp Farming) शुरू किया. वह एक लाइव फिश मार्केट भी विकसित करना चाहते थे ताकि वह अपनी उपज बेच सकें और बिना किसी रुकावट सप्लाई कर सकें.
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PMMSY का उठाया फायदा
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चेतन राज ने बाद में राज्य के मत्स्य विभाग के सहयोग से तिलापिया पालन (Tilapia Culture) की शुरुआत की और इसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली. नेशनल फिश डेवलपमेंट बोर्ड (NFDB) के मुताबिक, इसके बाद उन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत 0.1 हेक्टेयर में मीठे पानी के बायोफ्लॉक तालाब (Freshwater Biofloc Ponds) के लिए आवेदन किया. उन्होंने स्कीम के तहत मुरेल कल्चर (Murrel Culture) के लिए दो तालाबों का निर्माण कराया, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 0.2 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 4 टन थी.
60 हजार की नौकरी छोड़ शुरू किया मछली पालन
प्रोजेक्ट की कुल लागत ₹28 लाख थी. उन्हें योजना के तहत ₹11.20 लाख की आर्थिक मदद मिली. वह अपनी उपज को ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से मत्स्य पालन में आने से पहले वह ₹60,000 कमा रहे थे. अब एक्वाकल्चर करने से उनकी मासिक आय दोगुनी हो गई और अब वो 1.20 लाख रुपये महीना कमाते हैं.
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चेतन राज के मुताबिक, पीएमएमएसवाई योजना (PMMSY scheme) से पर्याप्त मदद मिलने से वह मुरेल कल्चर के लिए जरूरी हाई प्रोटीन वाले महंगे आहार का प्रबंध कर सके. वह अपने खेत पर नई तकनीकों का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं ताकि उत्पादन सामान्य तालाब से अधिक हो सके. उनका कहना है कि मत्स्य विभाग के समर्थन और युवाओं के लिए योजनाओं ने उन्हें इस क्षेत्र में और अधिक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है. उन्होंने बायोफ्लॉक तकनीक में निवेश करना शुरू किया. यह एक स्मॉल यूनिट एरिया से ज्यादा उत्पादन के लिए एक प्रभावी तरीका है.
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05:32 PM IST